सीख लिया

रचनाकार: प्रभा मिश्रा

अब उलझनों में अटकना छूट गया।
क्योंकि मैंने अब संभलना सीख लिया।
कभी राहों में डगमगाते हुए चलते थे
अब अपनी हर राह पर बेफिक्र चलना सीख लिया।
कभी मेरी मंजिल का कोई ठिकाना तय ना था
पर अब मैंने अपनी मंजिलें खुद से बनाना सीख लिया।

-प्रभा मिश्रा
ई-मेल: prbhanu7@gmail.com